आप में से बहुत किसी के मन में यह प्रश्न आया होगा की किसी बड़े रेलवे स्टेशन (Railway Station) में जंहा बहुत सारी ट्रैक्स बिछी हो और बहुत सारे सिग्नल (Signal) लगे हो वंहा लोको पायलट अपने ट्रैक्स का सिग्नल कैसे पहचानते है।
तो आइये जानते है लोको पायलट अपने ट्रैक्स का सिग्नल कैसे पहचानते है।
जैसा की आप सब को शायद पता होगा ट्रेनों का संचालन सिग्नल के द्वारा ही होता है और लोको पायलट (Loco Pilot) भी सिग्नल देख कर ट्रेन चलाते है। इसलिए यह बहुत जरुरी होता है कि लोको पायलट अपने ट्रैक्स (Tracks) की सिग्नल की पहचान अवश्य हो।
जंहा Single या Double ट्रैक्स हो वंहा तो सिग्नल पहचानना आसान है। लेकिन जंहा बहुत सारी ट्रैक्स और सिग्नल हो वंहा अपने ट्रैक्स का सिग्नल पहचानना मुश्किल हो जाता है। इसलिये रेलवे में कुछ जगहों को छोड़ कर बाकि सभी जगहों में ट्रैक्स के बाएं तरफ सिग्नल लगाया जाता है। मतलब जिस ट्रैक्स के बाएं तरफ सिग्नल होगा वही उस ट्रैक्स का सिग्नल होगा। लेकिन ऐसे में कुछ समस्या ही लोको पायलट की दूर होगी , इसके 100% सिक्यूरिटी के लिये जंहा बहुत सारे ट्रैक्स और सिग्नल हो वंहा स्टेशन से पहले लगे होम सिग्नल (Home Signal) एक स्पेशल प्रकार का सिग्नल लगा होता है। जिसे रुट इंडिकेटर सिग्नल (Route Indicator Signal) कहा जाता है।
इस सिग्नल में जितने ट्रैक्स होते है उतने सफ़ेद रंग (White Colour) के अलग - अलग इंडिकेटर (Indicator) लगे होते है। जिसे पिला रंग (Yellow Colour) के साथ उस रुट के सारे सफेद रंग के लाइट (Light) को जला दिया जाता है जिससे लोको पायलट समझ जाते है कि ट्रेन किस रुट में जाने वाली है इससे उनका आगे का सिग्नल और ट्रैक्स क्लियर (Clear) हो जाता है।
जैसा की आप अब जानते ही होंगे किसी भी काम को करने से पहले ट्रेनिंग (Training) दी जाती है। उसी तरह रेलवे में भी लोको पायलट को सिग्नल की ट्रेनिंग दी जाती है , जिसे रोड लर्निंग (Road Learning) कहा जाता है। ट्रेनिंग के दौरान उन्हें सिग्नल का पूरा Knowledge मिल जाता है और यही कारण है कि लोको पायलट बहुत सारे ट्रैक्स और सिग्नल में भी अपने ट्रैक्स के सिग्नल (Signal) पहचान लेते है।
तो अब आप समझ गए होंगे की लोको पायलट अपने ट्रैक्स का सिग्नल कैसे पहचानते है।
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उस पोस्ट में आपने जाना की किसी बहुत बड़े रेलवे स्टेशन में जंहा बहुत सारे ट्रैक्स और सिग्नल हो वंहा लोको पायलट अपना सिग्नल कैसे पहचान लेते है और सही ट्रैक्स पर ट्रेन को आगे बढ़ाते है।
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